मौनी अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का खास महत्व है। इस दिन स्नान और दान को अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन रहकर आत्मशांति और संयम का पालन करने से मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। साथ ही, पितरों के तर्पण से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
मौनी अमावस्या की तिथि
माघ मास की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 7:32 मिनट से शुरू होगी और 29 जनवरी को शाम 6:05 मिनट तक रहेगी। इस अवधि में स्नान, दान, जप और पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
मौनी अमावस्या स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: 29 जनवरी को सुबह 05:25 मिनट से 06:18 मिनट तक
- प्रातः सन्ध्या: 29 जनवरी को सुबह 05:51 मिनट से 07:11 मिनट तक
मौनी अमावस्या पूजन विधि
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यदि गंगा स्नान संभव न हो तो स्नान जल में गंगा जल मिलाएं।
- भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- तुलसी की 108 बार परिक्रमा करें और दीप प्रज्वलित करें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
- भगवान विष्णु और पितरों की पूजा करें और गीता का पाठ करें।
मौनी अमावस्या पर करने योग्य उपाय
- पूर्वजों की कृपा पाने के लिए पीले वस्त्र धारण करें और पितरों का ध्यान करें।
- घर के मुख्य द्वार पर हल्दी मिले जल का छिड़काव करें, इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- पीपल के वृक्ष की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
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